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रायबरेली से राहुल का चुनाव लड़ने का मतलब विरासत की लड़ाई में उनकी जीत

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लखनऊ: आख़िरकार राहुल गांधी को अमेठी छोड़कर रायबरेली आना पड़ा। इसका मतलब विरासत की लड़ाई में राहुल गांधी की जीत है। राहुल गांधी को भी अमेठी से अपनी हार का डर सता रहा था। अगर प्रियंका रायबरेली से जीत जातीं और राहुल अमेठी से हार जाते तो कांग्रेस के अंदर प्रियंका को आगे करने की मांग उठती, जो सोनिया गांधी को पसंद नहीं आई।

सोनिया की पहली पसंद हैं राहुल

राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो विरासत के लिए सोनिया गांधी की पसंद राहुल हैं। प्रियंका कभी भी राहुल गांधी के सामने सोनिया गांधी को नहीं करना चाहतीं। अमेठी से स्मृति के लिए लड़ाई ज्यादा कड़ी थी। इसी वजह से राहुल गांधी कांग्रेस की नजर में सिर्फ एक सुरक्षित सीट चाहते हैं, जिसके चलते उन्हें रायबरेली से चुनाव लड़वाया गया।

इस मुद्दे पर बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ला का कहना है कि राहुल गांधी रायबरेली से भी नहीं जीतेंगे। उनकी हार निश्चित है। अमेठी से डरकर भागने वाले राहुल गांधी को पूरे उत्तर प्रदेश की जनता माफ नहीं कर सकती। जनता जानती है कि कांग्रेस के शीर्ष नेता केवल चुनावों में ही मेढक की तरह दिखाई देते हैं। उन्हें आम जनता से कोई लेना-देना नहीं है।

बीजेपी ने साधा निशाना

इस बीच कांग्रेस प्रवक्ता अंशू अवस्थी का कहना है कि गांधी परिवार का अमेठी और रायबरेली से गहरा रिश्ता है। पहले फिरोज गांधी, फिर इंदिरा गांधी, सोनिया गांधी और अब राहुल गांधी चुनाव मैदान में हैं। भारत की सबसे बड़ी जीत राहुल गांधी की रायबरेली से होगी। उत्तर प्रदेश के कांग्रेस कार्यकर्ता इसका बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। हमारी सीटें बढ़ेंगी।

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उधर, राहुल गांधी के उत्तर प्रदेश में अमेठी की बजाय रायबरेली से चुनाव लड़ने पर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने तंज कसा है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर लिखा कि राहुल गांधी का अमेठी से चुनाव नहीं लड़ना कांग्रेस की नैतिक हार और बीजेपी की जीत है।


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